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नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट: उलटी गिनती शुरू – जेवर में नया युग, यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण की नई पहल

नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट

नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट

नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, जिसे जेवर एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में तेजी से विकसित हो रहा है। यह एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हवाई अड्डा बनने की दिशा में अग्रसर है। हाल के समाचारों के अनुसार, नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से कॉमर्शियल उड़ानें शुरू होने का समय नजदीक आ रहा है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के साथ-साथ, यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण (यीडा) ने क्षेत्र के समग्र विकास के लिए चार नए सेक्टर-4ए, सेक्टर-5, सेक्टर-5ए, और सेक्टर-11 के लिए लैंड बैंक तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह लेख नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण की नई योजनाओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, जो क्षेत्रीय विकास और निवेश के लिए नए अवसर खोल रहा है।

नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट: एक नजर में

नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण कार्य यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (YIAPL) द्वारा किया जा रहा है, जो स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी की सहायक कंपनी है। यह हवाई अड्डा 1,334 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और इसे दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बढ़ती भीड़ को कम करने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हवाई यातायात की मांग को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

प्रमुख विशेषताएँ:

  1. छह रनवे: नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट में छह रनवे होंगे, जो दिल्ली हवाई अड्डे के तीन रनवे से दोगुने हैं। यह इसे बड़े पैमाने पर हवाई यातायात को संभालने में सक्षम बनाएगा।
  2. मल्टी-कार्गो परिचालन: यह भारत का पहला हवाई अड्डा होगा जो मल्टी-कार्गो परिचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है और शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखता है।
  3. विशाल कार्गो टर्मिनल: 80 एकड़ में बनाया जा रहा कार्गो टर्मिनल पश्चिमी उत्तर प्रदेश को वैश्विक बाजार से जोड़ेगा, जिसमें पहले चरण में 37 एकड़ का निर्माण कार्य चल रहा है।
  4. यात्री क्षमता: पहले चरण में यह हवाई अड्डा 12 मिलियन यात्रियों को संभालने में सक्षम होगा, जो 2050 तक 60-120 मिलियन तक बढ़ सकता है।
  5. कनेक्टिविटी: एयरपोर्ट को यमुना एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, और प्रस्तावित पॉड टैक्सी सेवा के माध्यम से जोड़ा जाएगा, जिससे एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों तक पहुंच आसान होगी।

निर्माण की प्रगति

हाल के समाचारों के अनुसार, नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। टर्मिनल भवन का 78% कार्य पूरा हो चुका है, जिसमें फर्श, एस्केलेटर, और बैगेज डिलीवरी उपकरण शामिल हैं। रनवे, टैक्सीवे, और एयरसाइट कार्य 89% पूरे हो चुके हैं, और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) टावर भी तैयार है। दिसंबर 2024 में सफल सत्यापन उड़ान के बाद, यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड ने एयरोड्रम लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, जिसके मार्च 2025 तक मिलने की उम्मीद है।

हालांकि, टर्मिनल बिल्डिंग के निर्माण में कुछ देरी के कारण अप्रैल 2025 की प्रस्तावित तारीख में बदलाव हुआ है। अब मई 2025 से घरेलू उड़ानें और कार्गो सेवाएँ शुरू होने की संभावना है, जबकि अंतरराष्ट्रीय उड़ानें इसके दो महीने बाद शुरू हो सकती हैं।

यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण की नई पहल: लैंड बैंक और सेक्टर विकास

नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के आसपास के क्षेत्र को एक प्रमुख आर्थिक और आवासीय केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए, यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण (यीडा) ने चार नए सेक्टर-4ए, सेक्टर-5, सेक्टर-5ए, और सेक्टर-11 के लिए लैंड बैंक तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की है। यह कदम क्षेत्र में आवासीय, औद्योगिक, और लॉजिस्टिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।

नए सेक्टरों का विवरण:

  1. सेक्टर-4ए: यह सेक्टर मुख्य रूप से आवासीय विकास के लिए प्रस्तावित है। यहाँ फ्लैट, प्लॉट, और अन्य आवासीय परियोजनाएँ विकसित की जाएँगी, जो नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के निकट होने के कारण निवेशकों के लिए आकर्षक होंगी।
  2. सेक्टर-5: इस सेक्टर को औद्योगिक और मिश्रित उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। यहाँ उद्योगों और लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना की जाएगी, जो एयरपोर्ट के कार्गो हब से लाभान्वित होंगे।
  3. सेक्टर-5ए: यह सेक्टर वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक गतिविधियों के लिए समर्पित होगा। नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के कार्गो टर्मिनल के साथ तालमेल बनाकर यह क्षेत्र वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनेगा।
  4. सेक्टर-11: यह सेक्टर संस्थागत और व्यावसायिक परियोजनाओं के लिए आरक्षित है। यहाँ शैक्षिक संस्थान, कार्यालय, और अन्य व्यावसायिक सुविधाएँ स्थापित की जाएँगी।

लैंड बैंक की रणनीति

यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण ने अगले दस वर्षों के लिए 5,000 हेक्टेयर का लैंड बैंक तैयार करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 10 गाँवों की लगभग 1,500 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा, जिसके लिए सरकार ने 1,500 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त फंड प्रदान किया है। इसके अतिरिक्त, प्राधिकरण ने छोटे प्लॉट (30-30 मीटर) की योजना शुरू की है, जो गरीब और भूमिहीन किसानों के लिए आवासीय सुविधाएँ प्रदान करेगी।

अन्य परियोजनाएँ

यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण न केवल लैंड बैंक पर ध्यान दे रहा है, बल्कि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को भी मजबूत कर रहा है। कुछ प्रमुख परियोजनाएँ शामिल हैं:

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण की ये पहलें क्षेत्रीय विकास को नए आयाम दे रही हैं। यहाँ कुछ प्रमुख प्रभाव हैं:

चुनौतियाँ और समाधान

निर्माण कार्य में कुछ देरी के बावजूद, यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण और यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड समयसीमा के भीतर परियोजना को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने हाल ही में निर्माण कार्यों की समीक्षा की और अधिकारियों को समयबद्ध तरीके से कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। इसके अलावा, निर्माण कंपनी पर देरी के लिए 10 लाख रुपये प्रतिदिन का जुर्माना भी लगाया गया है, जो परियोजना की गंभीरता को दर्शाता है।

निष्कर्ष

नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण की नई योजनाएँ उत्तर प्रदेश और एनसीआर के लिए एक नया युग शुरू करने जा रही हैं। जेवर में बन रहा यह हवाई अड्डा न केवल हवाई यातायात की क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास, रोजगार, और निवेश के नए अवसर भी प्रदान करेगा। नए सेक्टरों (4ए, 5, 5ए, और 11) के लिए लैंड बैंक की शुरुआत और पॉड टैक्सी, ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे जैसी परियोजनाएँ इस क्षेत्र को एक आधुनिक और विकसित केंद्र के रूप में स्थापित करेंगी।

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